नेपाल:राष्ट्रपति का संसद भंगकर,
मध्यावधि चुनाव की घोषणा

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विरोध झेल रहे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने की थी संसद भंग करने की सिफारिश

विपक्ष ने कहा संविधान का अपमान

सग़ीर ए खाकसार

काठमाण्डू।नेपाल में रविवार को अप्रत्याशित राजनैतिक घटनाक्रम में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारी ने प्रतिनिधिसभा (संसद्) भंग कर दिया है। प्रधानमन्त्री केपीशर्मा ओली की सिफारिश पर रविवार को उन्होंने संसद भंग करते हुए चुनावों की नई तारीखों का एलान कर दिया।राष्ट्रपति कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार नेपाल में अगला आम चुनाव दो चरणों मे होगा ।पहले चरण का चुनाव आगामी बैसाख 17 गते व दूसरे चरण का चुनाव बैसाख 27 गते ( 30 अप्रैल व 10 मई ,2021 )को होगा।


रविवार की  सुबह सम्पन्न मन्त्रिपरिषद् की बैठक में  संसद् का विघटन कर नया आम चुनाव कराने  का निर्णय लिया था । प्रधानमन्त्री ओली की इस कदम की नेपाल के विभिन्न सियासी दलों ने कड़ी आलोचना करते हुए ओली के इस कदम को अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक करार दिया है। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने इस कदम को असंवेधानिक बताते हुए राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी से सिफारिश को अस्वीकार करने की मांग की है।पूर्व प्रधानमंत्री डॉ बाबु राम भट्टराई ने इसे असंवेधानिक  बताते हुए इसे लोकतंत्र और संविधान के मर्म के खिलाफ बताया है।जनता समाजवादी पार्टी ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है।जसपा ने कहा कि प्रतिनधि सभा का विघटन संवैधानिक व्यवस्था पर न सिर्फ गंभीर प्रहार है अपितु यह अधिनायकवाद और निरंकुशता की पराकाष्ठा है।विपक्षी दल  ही नहीं सत्ताधारी दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर भो ओली के इस कदम का विरोध शुरू हो गया है।नेकपा उपाध्यक्ष वामदेव गौतम ने जारी बयान में कहा कि अभी दो वर्ष का कार्यकाल बाकी था।ऐसे में संसद विघटन करना नेपाल के संविधान के मर्म व भावनाओं के विपरीत है।
बताते चलें कि सत्ता धारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में लंबे समय से आंतरिक विवाद चल रहा था।पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल व पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने ओली के इस्तीफे की मांग की थी ।उधर,नेकपा नेता महेश बस्नेत ने ओली के इस  निर्णय का समर्थन करते हुए इस निर्णय को बाध्यात्मक कदम बताया है।उन्होंने कहा कि यह निर्णय क्षणिक रूप से अलोकप्रिय भले लगता हो लेकिन यह देशहित में है।

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