…..कोरोना वैक्सीन पर सवाल !

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स्वदेशी कोरोना वैक्सीन पर चल रही यह स्तरहीन राजनीति हमारे वैज्ञानिकों का अपमान है। इस दुष्प्रचार को रोकने के लिए फिलहाल इतना पर्याप्त होगा कि देश के लोगों के पहले हमारे देश के प्रधानमंत्री, स्वास्थय मंत्री और गृहमंत्री स्वयं वैक्सीन लेकर दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत करें।

ध्रुव गुप्त

ध्रुव गुप्त

यह देश के लिए गर्व की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों के अथक श्रम और समर्पण से देश में बनी एक नहीं, दो-दो कोरोना वैक्सीन को मान्यता मिल गई है। इसके साथ ही देश में इसी माह बहुप्रतीक्षित टीकाकरण की शुरुआत होने जा रही है। अगर देश के दोनों वैक्सीन पर कोई संदेह या सवाल है तो यह सवाल वैज्ञानिकों की तरफ से उठना चाहिए, विपक्ष के राजनेताओं की तरफ से नहीं। अगर हमारे वैज्ञानिक कह रहे हैं कि ये दोनों टीके पूरी तरह सुरक्षित हैं तो हमारे पास उनपर अविश्वास करने की कोई वज़ह नहीं।

कुछ विपक्षी नेताओं का यह कहना कि वे भाजपा के बनवाए इन टीकों का बहिष्कार करेंगे या यह कि ये टीके देश के लोगों को नपुंसक बनाने की साज़िश हैं, उनके दिमागी दिवालियेपन के सिवा कुछ भी नहीं। देश के सत्ताधारी नेताओं की मानसिक दरिद्रता से तो हमारा साबका पड़ता ही रहा है, कुछ पिपक्षी नेताओं की ये बातें यह साबित करती हैं कि हमारे देश के विपक्ष का मानसिक स्तर भी उनसे कुछ बेहतर नहीं है। हमारे हमसाया मुल्क पाकिस्तान से तो ऐसी भी आवाज़ें उठने लगी हैं कि ये वैक्सीन मुसलमानों का डी.एन.ए बदलने की पश्चिमी देशों की साज़िश के हिस्से हैं।

स्वदेशी कोरोना वैक्सीन पर चल रही यह स्तरहीन राजनीति हमारे वैज्ञानिकों का अपमान है। इस दुष्प्रचार को रोकने के लिए फिलहाल इतना पर्याप्त होगा कि देश के लोगों के पहले हमारे देश के प्रधानमंत्री, स्वास्थय मंत्री और गृहमंत्री स्वयं वैक्सीन लेकर दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत करें।

फ़िलहाल पक्ष-विपक्ष की सियासत से अलग देश के वैज्ञानिकों को हमारा सलाम तो बनता ही है !

(लेखक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं ,फिलवक्त स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं)

सग़ीर ए खाकसार

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