नेपाल:ओली ने ली फिर पीएम की शपथ,नेपाली कांग्रेस की हठवादी रवैये से बिगड़ा खेल

ताज़ा खबर नेपाल बॉर्डर स्पेशल राजनीति विदेश

यशोदा श्रीवास्तव/सग़ीर ए खकसार

काठमाण्डु,15 मई।इण्डो नेपाल पोस्ट

नेपाली कांग्रेस और ओली विरोधी कम्युनिस्टों के हठवादी रवैये के कारण तीन दिन पूर्व बहुमत खो चुके ओली ने शुक्रवार को फिर से पीएम पद की शपथ ली। दस मई को विश्वास मत खो चुके ओली के बाद नई सरकार गठन के लिए राष्ट्रपति ने दूसरे बड़े दलों को तीन दिन में सरकार बनाने का दावा करने की समय सीमा तय की थी। इसके बाद 62 सदस्यों के साथ बड़ा दल होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया लेकिन तीन दिन तक चली रस्साकशी में नेपाली कांग्रेस के पीएम पद के दावेदार शेर बहादुर देउबा बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा पाए लिहाजा बहुमत के जरिए अपदस्थ पीएम ओली को पुन:पीएम पद की शपथ दिलाई गई।हालांकि उनके समर्थन में प्रचंड गुट का कम्युनिस्ट धड़ा साथ था।

बता दें कि नेपाल संसद में नेपाली कांग्रेस के 62 और ओली विरोधी कम्युनिस्ट गुट के 39 सांसद हैं। दोनों मिलाकर बहुमत के लिए 136 का आंकड़ा नहीं छू पा रहे थे। इधर जनता समाज पार्टी के 36 सदस्यों में से उपेंद्र यादव गुट के 13 सांसद भी किसी तरह नेपाली कांग्रेस के पक्ष में आए फिर भी बहुमत से दूर रहे। जनता समाज पार्टी के दूसरे बड़े नेता महंथ ठाकुर अपने 15 सदस्यों के साथ तटस्थ बने रहे। इस तरह नेपाली कांग्रेस जब किसी सूरत में बहुमत नहीं जुटा पाई तो बैकफुट पर आ गई।

ओली ने अपनी पार्टी और संगठन में भारी खिलाफ़त के बाद पिछले साल दिसंबर में संसद भंग कर दिया था।राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मध्यावधि चुनाव की तिथि की भी घोषणा कर दी थी लेकिन ओली के संसद भंग करने के खिलाफ उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर फैसला देते हुए न्यायालय ने 20 फरवरी को ओली का फैसला पलटते हुए संसद को बहाल कर दिया और ओली को विश्वास मत हासिल करने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में दस मई को ओली ने विश्वास मत हासिल करने के लिए एक दिवसीय संसद सत्र आहुत किया।विश्वास मत में 124 के सापेक्ष 93 सदस्यों का समर्थन पाकर ओली अपदस्थ तो हो गए लेकिन विपक्ष के 124 सदस्य वैकल्पिक सरकार बनाने में विफल रहे।

ओली के बाद नई सरकार न बन पाने के पीछे मधेशी नेता महंथ ठाकुर का अड़ियल रुख रहा है। बताते हैं कि विश्वास मत के दौरान संसद में मौजूद जिन 15 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था,वे महंथ ठाकुर गुट के थे। अविश्वास मत में पराजित ओली के बाद नई सरकार के गठन की दुश्वारियां समझते हुए ही पूर्व पीएम डा.बाबू राम भट्टाराई ने महंथ ठाकुर को पीएम बनाने की पेशकश थी जिसे बड़े दलों,नेपाली कांग्रेस और ओली वीरोधी कम्युनिस्ट धड़ा बहुत हल्के में लिया। नेपाली कांग्रेस महंत ठाकुर को लेकर अतिविश्वास में था जिस वजह से उन्हें मुंहकी खानी पड़ी।

अब जब ओली ने दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली है तो उन्हें भी फिर विश्वास मत हासिल करने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी।लेकिन अभी फिलहाल 93 सदस्यों के साथ वे बड़े दल के नेता तो हैं ही,मधेशी दलों के भी सभी 38 सांसद उनके साथ आ सकते हैं।इस तरह बहुमत के लिए जरूरी 136 सदस्यों में से 129 सदस्य उनके साथ दिख रहे हैं।सरकार बचाने के लिए शेष दस सदस्यों का जुगाड़ कर पाना बहुत मुश्किल नहीं होगा।

Loading