वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 19 अगस्त पर विशेष———-तस्वीरों का दिन!

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फोटो खींचकर कागज़ पर प्रिंट करने की तकनीक के विकसित होने के बाद 19 अगस्त 1839 को पहली बार आम लोगों को फोटो खींचने का अधिकार मिला था। तब से दुनिया भर के फोटोग्राफर इस दिन को ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

ध्रुव गुप्त

किसी भी चीज़ की अंतर्वस्तु को अभिव्यक्त करने का जो काम साहित्य शब्दों से, चित्रकला रंगों से और संगीत ध्वनियों से करता है, फोटोग्राफी वह काम दृश्य और प्रकाश के संयोजन से करती है। चेहरों, प्रकृति और जीवन के यादगार लम्हों को कैद करने और सहेजने के यांत्रिक साधन से शुरू फोटोग्राफी अब एक लंबा सफ़र तय कर चुकी है।

अब यह एक जीवंत और प्रभावशाली कला है। चेहरों, आकृतियों, दृश्यों और पलों के भीतर की संवेदनाओं और विडंबनाओं को पकड़ने और उन्हें अभिव्यक्त करने का बेहद सशक्त माध्यम। तस्वीरें दिखाती भर नहीं, संवाद भी करती हैं। कभी-कभी कोई तस्वीर इतना कुछ कह जाती है जो एक महाकाव्य या उपन्यास के विस्तार में भी कहना संभव नहीं है। छायाकार के पास अगर संवेदना और अंतर्दृष्टि है तो साहित्य और संगीत हर तरफ बिखरे हुए हैं। वह कैमरे के एक छोटे से क्लिक में भी भावनाओं का अनंत संसार रच सकता है।

फोटो खींचकर कागज़ पर प्रिंट करने की तकनीक के विकसित होने के बाद 19 अगस्त 1839 को पहली बार आम लोगों को फोटो खींचने का अधिकार मिला था। तब से दुनिया भर के फोटोग्राफर इस दिन को ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ के रूप में मनाते हैं।सभी फोटोग्राफर और इस कला के प्रशंसक मित्रों को विश्व फोटोग्राफी दिवस की बधाई, हंगरी की एक छायाकार नोएल ऑस्ज़वाल्ड के एक प्रसिद्ध फोटो ‘प्रेज्यूडिस’ के साथ।

(लेखक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं,फिलवक्त स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं)

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