मुहर्रम विशेष-जानिए,इमाम हुसैन (रज़ि) के बारे में दुनिया के बड़े लोगों के ख़्यालात!

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हिसामुद्दीन अंसारी की प्रस्तुति

महात्मा गांधी –
मैंने हुसैन से सीखा की मज़लूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है, इस्लाम की बढ़ोत्तरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि हुसैन के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे ।

रबिन्द्र नाथ टैगौर –
इन्साफ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए, फौजों या हथियारों की ज़रुरत नहीं होती है,कुर्बानियां देकर भी फ़तह हासिल की जा सकती है, जैसे की इमाम हुसैन ने कर्बला में किया ।

पंडित जवाहरलाल नेहरु –
इमाम हुसैन की क़ुर्बानी तमाम गिरोहों और सारे समाज  के लिए है, और यह क़ुर्बानी इंसानियत की भलाई की एक अनमोल मिसाल है ।

डॉ राजेंद्र प्रसाद –
इमाम हुसैन की कुर्बानी किसी एक मुल्क या कौम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों में भाईचारे का एक असीमित राज्य है ।

डॉ. राधाकृष्णन –
अगरचे इमाम हुसैन ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन इनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है ।

श्रीमती सरोजिनी नायडू –
मै मुसलमानों को इसलिए मुबारकबाद पेश करना चाहती हूँ की यह उनकी खुशकिस्मती है की उनके बीच दुनिया की बड़ी हस्ती इमाम हुसैन पैदा हुए जो संपूर्ण रूप से दुनिया भर के तमाम जाति और समूह के दिलों पर राज किया और करते हैं

एडवर्ड ब्राउन –
कर्बला में खूनी सहरा की याद जहां अल्लाह के रसूल का नवासा प्यास के मारे ज़मीन पर गिरा और जिसके चारों तरफ सगे सम्बन्धियों के लाशें थीं यह इस बात को समझने के लिए काफी है की दुश्मनों की दीवानगी अपने चरम सीमा पर थी, और यह सब से बड़ा ग़म है जहाँ भावनाओं  और आत्मा पर इस तरह नियंत्रण था की इमाम हुसैन को किसी भी प्रकार का दर्द, ख़तरा और किसी भी प्रिय की मौत ने उन के क़दम को नहीं डगमगाया ।

अंटोनी बारा –
मानवता के वर्तमान और अतीत के इतिहास में कोई भी युद्ध ऐसा नहीं है जिसने इतनी मात्रा में सहानूभूति और प्रशंसा हासिल की है जितनी इमाम हुसैन की शहादत ने कर्बला के युद्ध ने हासिल की है ।

थॉमस कार्लाईल –
कर्बला की दुखद घटना से जो हमें सब से बड़ी सीख मिलती है वो यह है की इमाम हुसैन और इनके साथियों का ख़ुदा पर अटूट विश्वास था और वो सब मोमिन थे ।
इमाम हुसैन ने यह दिखा दिया की सैन्य विशालता ताक़त नहीं बन सकती ।

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