रक्षाबंधन विशेष;-कच्चे धागों का मजबूत रिश्ता !

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सभी बहनों और बेटियों को राखी की शुभकामनाएं !

ध्रुव गुप्त

महसूस कर सकें तो भाई और बहन का रिश्ता मां और संतान के बाद दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता है। एक ऐसा रिश्ता जिसकी अभिव्यक्ति के तरीके बहनों की उम्र के साथ बदलते रहते हैं। बहनों का बचपन भाईयों से लड़ते-झगड़ते बीतता है।

साथ रहें, साथ खाएं या साथ खेलें – एकदम दुश्मनों वाला सलूक ! राखी के दिन मिठाई खिलाने के बाद नेग के लिए भी झगड़ा। फिर लड़ते-झगड़ते बहनें सयानी होती हैं और भाईयों की फ़िक्र करने लगती हैं। किसी चीज़ में हिस्सा मांगना तो दूर, अपना हिस्सा भी इत्मीनान से उन्हें सौंप देती हैं। प्यार से राखी बांधती हैं और बदले में कुछ नहीं मांगती। कुछ मिल गया तो होंठों पर हल्की सी मुस्कान। न मिला तब भी प्यार में कोई कमी नहीं।

ब्याह के बाद ससुराल जाकर वे भाईयों को अपनी प्रार्थना और प्रतीक्षा में शामिल कर लेती हैं। राखी के दिन वे भाईयों का इंतज़ार करती हैं। साल दर साल। यह जानते हुए भी कि जवानी में भाईयों को अपने काम और बीवी-बच्चों से फुर्सत मिलने के संयोग कम ही बनते हैं। बूढ़ी हुई तो बहन से सीधे मां की भूमिका में उतर आती हैं। बूढ़े भाईयों को बात-बात में स्नेह-भींगी हिदायतें और ज़रूरत पड़ी तो डांट-फटकार भी ! यह और बात है कि बुढ़ापे में भाईयों की चिंताओं में बहनें कम ही रह जाती हैं।

सभी बहनों और बेटियों को राखी की शुभकामनाएं !

(लेखक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं,फिलवक्त स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं)

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