धनतेरस विशेष:-धन का नहीं, आरोग्य का दिन !

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ध्रुव गुप्त

पुराणों के अनुसार यह दिन उस घटना की स्मृति है जब समुद्र मंथन के अभियान में देवों और असुरों ने समुद्र पार के किसी देश में अमृत-घट के साथ महान चिकित्सक धन्वंतरि की खोज की थी।

ध्रुव गुप्त

आज धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयंती की बधाई लेते-देते या धनवर्षा की प्रत्याशा में किसी कर्मकांड में शामिल होने के पहले यह जान लेना जरूरी है कि आज के दिन का धन-संपत्ति से कहीं कोई संबंध नहीं है। यह धन का नहीं, आरोग्य का दिन है।

पुराणों के अनुसार यह दिन उस घटना की स्मृति है जब समुद्र मंथन के अभियान में देवों और असुरों ने समुद्र पार के किसी देश में अमृत-घट के साथ महान चिकित्सक धन्वंतरि की खोज की थी। प्राकृतिक चिकित्सा-विज्ञान में पारंगत धन्वंतरि को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का आदिपुरुष कहा जाता है।

देवों ने उन्हें अपना चिकित्सक बनाया और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार तक घोषित किया। हजारों वर्षों से लोगों का यह विश्वास रहा है कि इस दिन संध्या समय धन्वंतरि को याद कर यम को दीपदान करने से रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। पता नहीं कैसे कालांतर में विकृतियों का शिकार होकर आयुर्वेद को समर्पित यह दिन धन की वर्षा का दिन बन गया।

हमारी धनलिप्सा ने एक महान चिकित्सक को भी धन का देवता बना दिया।धनतेरस का यह वर्तमान स्वरुप बाजार और उपभोक्तावाद की देन है जिसने हमें बताया कि धनतेरस के दिन सोने-चांदी में निवेश करने, विलासिता के महंगे सामान खरीदने या जुआ-सट्टा खेलने से धन तेरह गुना तक बढ़ जाता है।

आज के दिन कहीं निवेश करना है तो आयुर्वेद के आदिपुरुष धन्वंतरि को याद कर अपने आरोग्य में निवेश कीजिए। अच्छे स्वास्थ्य से बड़ा इस दुनिया में कोई धन नहीं।

(लेखक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं फिलवक्त स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं)

सग़ीर ए ख़ाकसार

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