स्मृति शेष:-पत्रकार,शिक्षक और जेंटिलमैन के रूप में हमेशा याद आएंगे संकटा शुक्ल

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स्व.शुक्ल नामचीन पत्रकार तो थे ही वे कई खूबियों के प्रतिमूर्ति थे। आज की पीढ़ी के तमाम पत्रकारों के वे रोलमॉडल थे।

यशोदा श्रीवास्तव/सग़ीर ए खाकसार


सिद्धार्थनगर,28 अप्रैल,2022।इंडो नेपाल पोस्ट

गांव गिरावं और गरीब गुरबों में पत्रकारिता का विषय वस्तु तलाशने और उसे शब्दों की माला पहनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार संकटा प्रसाद शुक्ल के निधन से जिले के पत्रकार मर्माहत हैं।

गुरुवार को सुबह ही उन्होंने अपने पैतृक गांव परसा में अंतिम सांस ली। कई बेटे बेटियों से उनका भरा पूरा परिवार है। वे 80 वर्ष के थे।

पत्रकार संगठनों ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है।
स्व.शुक्ल नामचीन पत्रकार तो थे ही वे कई खूबियों के प्रतिमूर्ति थे। आज की पीढ़ी के तमाम पत्रकारों के वे रोलमॉडल थे।

पत्रकारिता की शुरुआत उन्होंने तब की थी जब गांवों तक अखबारों की पंहुच मुश्किल से हुआ करती थी। नवजीवन, नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज डाक से गांव गांव तक आते थे,ग्राम प्रधानों के नाम से।

स्व.शुक्ल ने नवजीवन से पत्रकारिता शुरू की थी। पत्रकारिता के इस काल को पत्रकारों के लिए स्वर्णिम काल कह सकते हैं। संकटा शुक्ल स्थानीय एक प्रायमरी स्कूल में अध्यापक भी थे,इस वजह से उनके हिस्से पहले से ही इज्जत और सम्मान दर्ज था,ऊपर से पत्रकार!

जिले से चाहे डीएम का दौरा हो या कप्तान का, उन्हें पहले से मिलने के लिए बुलावा आ जाता था। बाद में उन्होंने और भी तमाम अखबारों में सेवाएं दी। जिले में प्रेस क्लब के गठन का श्रेय भी उनके हिस्से है। फख्र है कि उन्होंने ताउम्र पत्रकारिता की गरिमा और मापदंड को बनाए रखा।


पत्रकारिता के अलावा उन्हें चाहने वाले एक अन्य रूप में भी याद करेंगे। उनके गले में टाई उनकी पहचान थी। पैंट शर्ट और सूट उनके शरीर पर खूब फबता था। कपड़ों की क्रीच कभी मिटती नहीं थी। वे कपड़ों के बहुत शौकीन थे।

गांवों में तब प्रेस करने वाले धोबी कम होते थे या होते ही नहीं थे। स्व.शुक्ल को इसकी कमी कभी नहीं खली। वे अपने कपड़े खुद साफ करते थे और प्रेस करने के लिए लोटे का इस्तेमाल करते थे। उसमें आग भरकर उसे स्त्री बना लेते थे।

व्यक्तित्व ऐसा था कि अच्छे अच्छे उनके निकट जाने का साहस न जुटा पाएं। वे शिक्षक थे, इसलिए छात्रों के प्रति स्कूल से लेकर घर तक पूरी ईमानदारी से समर्पित थे। एक पत्रकार,शिक्षक और जेंटिलमैन के रूप में हमेशा याद किए जाते रहेंगे स्व.संकटा प्रसाद शुक्ल!

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