भारत और नेपाल के रिश्तों में मोहब्बत की मिठास घोल रही है लौंगलता मिठाई

ताज़ा खबर नेपाल पर्यटन पूर्वांचल बॉर्डर स्पेशल विदेश समाज

सग़ीर ए ख़ाकसार/इण्डो नेपाल पोस्ट

                   दीवाली यूँ तो मिठाइयों और स्वाद के लिए मशहूर है।तरह तरह की मिठाइयां बाजार में उपलब्ध हैं।लेकिन नेपाल की तराई में लौंग लता मिठाई(लवंग लतिका) अपने स्वाद और मिठास के लिए अलग पहचान रखती है।भारतीय सीमा से सटे जनपद तौलिहवा की  लौंग लता सीमाई इलाकों के अलावा नेपाल के अन्य हिस्सों में भी अपने अलग स्वाद के लिए जानी जाती है।चाशनी से लिपटी व ड्रायफ्रूट्स ,खोया से भरी हुई तथा ऊपर से लौंग जड़ी हुई इस स्वादिष्ट   मिठाई का स्वाद सभी को पसंद आता है।


इस मिठाई के शौकीन लोगों की फेहरिस्त लंबी है।कपिलवस्तु जनपद के सांसद अभिषेक प्रताप शाह लौंग लता मिठाई के बेहद शौक़ीन लोगों में से हैं।श्री शाह खुद तो दीपावली में अपने परिचतों का स्वागत लौंग लता से करते ही हैं साथ ही वो दूसरों को भी दीवाली में लौंग लता खिलाने का सुझाव देना नहीं भूलते। लोकप्रिय सांसद तो बाकायदा फ़ेसबुक पर अपील तक कर देते हैं कि  दीपावली पर्व पर लौंग लता से मेहमानों का स्वागत करें।यही नहीं श्री शाह ने इस मिठाई को अवध की शान तक कह डाला।

नेपाल के कपिलवस्तु के सांसद अभिषेक प्रताप शाह


ज़िला मुख्यालय तौलिहवाँ के नेपाली कांग्रेस के नेता  इरशाद अहमद खान कहते हैं कि मुख्यालय के अलावा आसपास पास के क्षेत्रों में भी इस मिठाई को लोग पसंद करते हैं।तौलिहवाँ और लौंग लता जैसे एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं।तौलिहवाँ जिला मुख्यालय किसी काम से जाने वाले लौंग लता का स्वाद लेना नहीं भूलते।।इरशाद अहमद कहते हैं कि तौलिहवाँ में इस मिठाई का इतिहास करीब आधी सदी से भी ज़्यादा पुराना है।गुलाब हलवाई की मिठाई की दुकान करीब पचास साल पुरानी है उनके पूर्वजों ने लौंग लता  मिठाई बनाने की शुरुआत की थी वो परम्परा अभी चल रही है।इसके अलावा भगवान दास,मुरली मिठाई वाले आदि दुकानदार वर्षो से लौंग लता मिठाई बनाते हैं।

तौलिहवाँ निवासी लौंग लता के शौकीन इरशाद अहमद खान


        आइये, थोड़ा समझने और जानने का प्रयास करें की यह लौंग लता भला है क्या चीज़?क्यों यह मधेश में अपनी मिठास और स्वाद के लिए जाना जाता है। दरअसल ,लौंग लता समोसे के आकार की मैदे से बनी एक तरह की मिठाई है,जिसमे खोया , और ड्राइफ्रूट्स भरा जाता है,ऊपर से लौंग भी जड़ा जाता है। दरअसल कहा तो यह भी जाता है कि लौंग लता बंगाल क्षेत्र की त्योहारों पर बनने वाली एक तरह की पारम्परिक मिठाई है।पहले मैदे को गूंधकर उसे रोटी की तरह बेलते हैं।फिर उसमें थोड़ा सा खोया और लौंग डालकर उसे फोल्ड करते हैं।फिर चाशनी में डुबोकर निकाल लेते हैं। स्वाद में यह मिष्ठान बहुत ही भरपूर होता है।इस क्षेत्र में तो इसके दीवाने बहुत हैं।जो शख्स भी ज़िला मुख्याल तौलिहवा जाता है लौंग लता खाने से खुद को रोक नहीं पाता।  

तौलिहवा, नेपाल स्थित लौंगलता की मशहूर गुलाब हलवाई की दुकान

       सटीक जानकारी तो नहीं है लेकिन कुछ         जानकारों का कहना है कि लौंग लता दरअसल नेपाल में बनारस से यहाँ पहुंचा है।कुछ लोग बनारस से सटे गाजीपुर से इस मिठाई का रिश्ता जोड़ते हैं।एकाध तो इसे बनारस की ही उत्पत्ति भी मानते हैं।दरअसल नेपाल और बनारस का रिश्ता भी बहुत पुराना है।सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बनारस हमेशा से ही नेपाल के नजदीक रहा है।यही नहीं शैक्षणिक रूप से नेपाल बनारस से ही जुड़ा रहा है।आवागमन की भी बेहतर सुविधा बनारस और नेपाल के बीच वाया गोरखपुर रही है।इससे भी यह अंदाजा लगाया जाता है कि लौंग लता बनारस से ही नेपाल आयी होगी।बहरहाल ,जो भी हो लौंग लता के की स्वाद भारत नेपाल रिश्तों में मोहब्बत की ही मिठास घोल रही है।यह कहना शायद गलत न होगा।

Loading