स्वतंत्र भारत के कुछ मशहूर मुस्लिम वैज्ञानिक ( भाग 6 )

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इण्डो नेपाल पोस्ट की यह नई श्रृंखला  देश के प्रसिद्ध मुस्लिम वैज्ञानिकों और उनके योगदान पर केंद्रित है।विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में इन वैज्ञानिकों के योगदान  के बारे में बता रहे हैं ….खुर्शीद अहमद !जो फिलवक्त कतर में रहते हैं आप मूलतः यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के बढनी के रहने वाले हैं।प्रस्तुत है इस श्रृंखला की छठवीं किस्त….!

गतांक से आगे

ख़ुर्शीद अहमद


12–डाक्टर रफीउद्दीन अहमद — फादर ऑफ माडर्न डेंटिस्ट्री कहे जाने वाले डाक्टर रफीउद्दीन अहमद का जन्म 24 दिसम्बर 1890 को पूर्वी बंगाल के बरधानपारा में हुआ।शुरूआती शिक्षा ढाका के मदरसा में हुई , उसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 1908 में ग्रेजुएशन किया उस समय तक AMU मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज के नाम से जाना जाता था।

1909 में इनके वालिद का इंतकाल हो गया और यह मुंबई आ गएं वहां से इंग्लैंड के रास्ते अमरीका पहुंच गए जहां उन्होंने युनिवर्सिटी ऑफ लोवा कालेज आफ डेंटिस्ट्री में एडमिशन लिया और 1915 में ( D.D.S.) की डिग्री हासिल की प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1918 में उन्होंने अमरीकी शहर बोस्टन के Forsyath Dental infirmary for children में अपनी सेवाएं दीं और सिर्फ एक साल बाद 1919 में वह भारत वापस आ गए।

1920 में इन्होंने कलकत्ता में डाक्टर आर अहमद डेण्टल कालेज एण्ड हास्पिटल की स्थापना की ।यह भारत का पहला डेण्टल कालेज था ।शुरुआत के तीन साल इस कालेज में मात्र 11 स्टूडेंट्स थे जिनमें एक फातिमा जिन्नाह भी थीं जो मिस्टर मोहम्मद अली जिन्नाह की बहन और पाकिस्तान की मादरे वतन के नाम से जानी जाती हैं।यह भारत का पहला डेण्टल कालेज था और सौ वर्षों के बाद भी भारत के टाप टेन डेण्टल कालेजों में से एक है। 2020 में इसे 8वीं आल इंडिया रैंकिंग मिली है।

डाक्टर रफीउद्दीन अहमद ने 1925 में इंडियन डेण्टल जर्नल की शुरुआत की और संपादक की हैसियत से 1946 तक उस से जुड़े रहे।1925 में ही इन्होंने बंगाल डेण्टल एसोसिएशन की स्थापना की जिसे 1928 में इंडियन डेण्टल एसोसिएशन ( IDA) के नाम से जाना जाने लगा। 1945 से 1949 के बीच तीन बार डाक्टर रफीउद्दीन अहमद साहब इसके अध्यक्ष बने और फिर 1954 से 1958 तक इंडियन डेण्टल काउंसिल के अध्यक्ष रहे।

1939 में उन्होंने बंगाल डेण्टल एक्ट और 1948 में इंडियन डेण्टल एक्ट को पास कराने में उल्लेखनीय योगदान दिया 1949 में अपना कालेज बंगाल सरकार को दान कर दिया।डाक्टर रफीउद्दीन अहमद साहब ने राजनीति में भी हिस्सा लिया और बंगाल राज्य सरकार में वह कृषि मंत्री भी बने।1964 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया यह सम्मान पाने वाले वह पहले डेंटिस्ट थे। इसके अलावा उन्हें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया इनके व्यक्तित्व और कार्यों को देखते हुए इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।

डाक्टर रफीउद्दीन अहमद साहब डेंटिस्ट्री फील्ड का सबसे आदरणीय नाम है वह भारत में इस फील्ड के जनक थे 9 फरवरी 1965 को कलकत्ता में इनका इंतेकाल हो गया!

…..जारी…

सगीर ए ख़ाकसार

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