नेपाल-……अंततःओली को जाना पड़ा!

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अपनों का साथ छोड़ते देख
महंत ठाकुर भी हुए बैकफुट
सवाल: किस पाले के थे 15 अनुपस्थिति सांसद

यशोदा श्रीवास्तव

काठमांडू। सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली संसद में विश्वास मत के जरिए अपनी कुर्सी बचाने में असफल रहे। 275 सदस्यीय संसद में उन्हें 138 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी। संभावना थी कि मधेशी दलों के कुछ सांसद ओली के समर्थन में आ सकते हैं। इस बात की भनक लगते ही ओली के अपनों ने ही पैतरा बदल दिया। यह हैरत की बात है कि सत्ता रूढ़ एमाले के दूसरे बड़े नेता माधव नेपाल  के समर्थक 28 सांसद मतदान प्रक्रिया से अनुपस्थित रहे। माधव नेपाल समर्थक सांसदों की संख्या 36 है, इसमें से आठ सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया और ओली के पक्ष में मतदान किया।

इस तरह 275 में से 232 सदस्य ही मतदान में हिस्सा लिये। इधर ओली की रणनीति भांपकर मधेशी दल भी पैतरा बदल लिए। महंत ठाकुर गुट के जिन 16 सदस्यों के ओली के पक्ष में मतदान की संभावना थी वे बैक फुट हो गए। क्योंकि माधव नेपाल के सांसदो के अनुपस्थिति रहने से मात्र 16 मधेशी सांसद ओली की सरकार बचाने की स्थिति में नहीं दिखे लिहाजावे भी कोविड नियंत्रण में नाकाम रहने का आरोप लगाकर ओली के खिलाफ हो गए,लेकिन गौर करने की बात यह है कि जो 15 सांसद मतदान से अलग रहे वे किसके पक्ष के थे? यदि ये 15 सांसद ओली के पक्ष में मतदान करते तो उनकी संख्या 108 जरूर हो जाती लेकिन फिर भी विपक्ष के 124 मत के सापेक्ष उनकी सरकार नहीं बचा पाती।

ओली के खिलाफ आए विश्वास मत पर गौर करें तो उनके ही दल के 28 अनुपस्थिति सांसदो ने पूरा का पूरा खेल बिगाड़ दिया। ओली को समर्थन देने को लेकर मधेशी दल भी एक मत नहीं थे,केवल महंत ठाकुर और उनके समर्थक 16 सांसद ही ओली सरकार बचाने के पक्ष में थे जो नाकाम रहे।

ओली के बाद नेपाल सरकार के गठन की अगली रणनीति के बारे में कयास अभी से शुरू हो गए हैं जिसके लिए एक से एक नाम की चर्चा जोरों पर है।

(लेखक नेपाल मामलों के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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