गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब का स्वर्णिम 2 दशक- धरोहर’ कार्यक्रम

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अशफाक

गोरखपुर,15 जुलाई।इण्डो नेपाल पोस्ट

गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब अपनी स्थापना के 23वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी हैं। इस अवसर पर बृहस्पतिवार को जनहित के सवाल, सत्ता और पत्रकारिता विषय पर विचारोत्तेजक संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि बिहार के उद्योग मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, विशिष्ट अतिथि प्रख्यात पत्रकार-संपादक एवं भाषाविद राहुल देव और नवोदय टाइम्स तथा पंजाब केसरी (जालंधर) के संपादक अकु श्रीवास्तव द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद हुई।।


मुख्य अतिथि बिहार के उद्योग मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि उनका पत्रकारों से बहुत गहरा संबंध है। भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते पत्रकारों और संपादकों से हमेशा मिलना जुलना होता है। उनका जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण है।वह भाजपा के सबसे अधिक समय तक रहने वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता है। राष्ट्रीय प्रवक्ता का बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। 5 लाख की भीड़ को संबोधित करने की अपेक्षा पत्रकारों के सामने बोलने में बहुत अधिक दबाव रहता है। किसी राष्ट्रीय प्रवक्ता को बोलते समय दिमाग और जवान का सामंजस्य बहुत जरूरी है। मैं बाल काले से ही मंत्री बन गया था। वह भारतवर्ष में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। गोरखपुर से मेरा बहुत गहरा नाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनका बहुत पुराना संबंध है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कहने पर सबसे पहले गोरखपुर हवाई सुविधा शुरू करने के लिए मैं खुद यहां आया था। राष्ट्रवादी शब्द भाजपा या संघ या नहीं है। कोई भी व्यक्ति मातृभूमि का विरोध देश में रहते हुए नहीं कर सकता।राष्ट्र की बात बात पर सभी को एक होना चाहिए। धार्मिक और धर्मांधता में बहुत बड़ा अंतर है। सच्चा मुसलमान अपने वतन से मोहब्बत करता है । राष्ट्र के मुद्दे पर हमें एक होना चाहिए। मेरा सारा राजनीतिक जीवन भाजपा में ही बिता है। ऐसी दशा में मैं भाजपा का ऑर्गेनिक पौध हूं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक जिला एक उत्पाद पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज के दौर में पत्रकारिता में बहुत बदलाव आया है।


पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री राज सभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सत्ता और पत्रकारिता का निरंकुशता और समन्वय दोनों होता है। समन्वय नहीं जयप्रकाश जी को लोकनायक बना दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को एकजुट किया था। देश में क्षेत्रीय विवाद को खत्म करने के लिए देश के सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी कर दी जाए तो क्षेत्रीय विवाद कम हो सकता है। भाषाई आधार पर देश को बांटने वाले गणराज्य को अंगूठा दिखा रहे हैं। इस समय की राजनीति में जातिवाद क्षेत्रवाद भाषावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।आज भाषा के आधार पर देश को बांटने का प्रयास किया जा रहा है। किसी भी देश का नागरिक ही राष्ट्र होता है। पेड़ पौधे ईट पत्थर यह भौतिक वस्तुएं राष्ट्र नहीं है। पत्रकारिता और सत्ता दोनों ही जनहित के लिए हैं। जनता का हित रोटी कपड़ा और मकान भर नहीं है। सत्ता नीम के वृक्ष की तरह होती है। छाया के साथ-साथ तमाम तरह की विसंगतियों से समाज को दूर रखने का प्रयास करती है। पत्रकारिता सत्ता के गुण दोष को परिभाषित करने के लिए होनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि,प्रख्यात पत्रकार-संपादक एवं भाषाविद राहुल देव ने कहा कि जनहित के सवाल सत्ता को पत्रकारिता तीनों अलग-अलग एक दूसरे से जुड़े हुए सवाल है।स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन स्वतंत्रता की कीमत क्या है यह देखना उसे भी जरूरी है। जनहित भौतिक और अभौतिक दोनों से मिलकर बना हुआ होता है जनहित एक बुद्ध चेतन है। आजकल कुछ शब्द बहुत ही चर्चा में है देश हित राष्ट्र हित और राज हित। राज्यकर्ता का दृष्टि राज्य से आता है।राज्यकर्ता की प्राथमिकता है कि वह अधिक से अधिक समय तक अधिक से अधिक राज्यों पर राज्य करें।जनहित से अलग कुछ भी मनुष्य कृत में कमियां होती है। हम सब गुण दोष के मिश्रण हैं। लोकतंत्र मैं कोई भी पक्ष सत्ता में आता है तो उसके अंदर मद होता है। जो सत्ता में उसकी एक छत्र राज करने की प्रवृत्ति उत्पन्न करती है।पत्रकारिता का कार्य न्यायपालिका से मिलता जुलता है। पत्रकारिता की सत्ता से दोस्ती नहीं हो सकती है। पत्रकार का सत्तासीनों से मित्रता होना अलग बात है। न्यायपालिका पत्रकारिता लोकहित संरक्षण करते हैं। न्यायपालिका के पास असीमित अधिकार है। जबकि पत्रकार आरक्षित और असुरक्षित है। न्यायपालिका में बैठे लोगों के पास फैसला करने के लिए असीमित समय है। जबकि पत्रकार को रोज फैसला करना पड़ता है। पत्रकार को संरक्षित रखने के लिए उनको कुछ अधिकार की आवश्यकता है। आए दिन पत्रकारों पर हमले होते रहते हैं।हर पत्रकार श्रेष्ठ पत्रकारिता करना चाहता है लेकिन परिस्थितियों से मजबूर है। हमें सत्ता और पत्रकारिता का अंतर्संबंध समझना पड़ेगा। हमें देश के भविष्य की जरूरत को तय करना पड़ेगा। आज सभी राष्ट्रवादी और अन्य विचारधारा में फस गए हैं। वर्तमान समय में मध्य मार्ग नहीं है। इस समय हम राष्ट्र के रूप में बाहरी आक्रमण का मुंह तोड़ जवाब देने की स्थिति में है। लेकिन अंदर से हमारा देश जाति, क्षेत्र, भाषा धर्म के नाम पर बैठा हुआ है। जिससे हम अंदर से कमजोर होते जा रहे हैं। हमें मजबूत होने के लिए आंतरिक रूप से एकजुट होना जरूरी है। पत्रकारिता के जरिए हमें इसे कार्य को करने के लिए प्रयास करना चाहिए।राष्ट्र का मतलब पत्थर पेड़ पौधे नदी नाले नहीं है। यहां के लोग या के राष्ट्र और उनकी आत्मा राष्ट्र की आत्मा होती है। लोगों को एकजुट करना हमारी निजी चुनौती है।

नवोदय टाइम्स तथा पंजाब केसरी (जालंधर) के संपादक अकु श्रीवास्तव ने कहा कि हम लोग कई दशकों से पत्रकारिता कर रहे हैं।समय के साथ पत्रकारिता में काफी बदलाव आया है। समय के साथ सत्ता और पत्रकारिता के प्रति अपेक्षा और आकांक्षा बढ़ी है। अब राजनीति जातीय समीकरणों पर फोकस कर रही है। जबकि समाज के सामने अन्य ज्वलंत मुद्दे हैं। इस वक्त रोजगार सामाजिक समरसता उद्योग सामाजिक चेतना शिक्षा पर बात होनी चाहिए। पांच दशक पहले भी पत्रकारिता के सामने विषय आते थे तब अखबार से सामाजिक सरोकार जुड़े होते थे।अब पत्रकारिता और सत्ता को भविष्य के राष्ट्र और रोजगार की चिंता करनी चाहिए। विगत 10-15 वर्षों में सामाजिक समरसता का ताना-बाना बिगड़ा है। यह आज सोच का विषय है कि आज के ज्वलंत मुद्दे रोजगार, सामाजिक समरसता, शिक्षा की गुणवत्ता जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है।रोजगार, सामाजिक समरसता, शिक्षा की गुणवत्ता ज्वलंत समस्याओं पर सरकार को उचित हो ठोस कदम उठाना पड़ेगा। जनता को भी रोजगार शिक्षा देश की सामाजिक समरसता के लिए सत्ता पर दबाव डालना पड़ेगा। कुर्ला काल में पत्रकारों की दशा निकट हुई है पत्रकारों के रोजगार छूट रहे हैं। ऐसी दशा में पत्रकारों को अपने काम रोजगार व्यवसाय में सामंजस्य स्थापित करना होगा। पत्रकारिता में ग्लैमर से काम चलने वाला नहीं है। कोई भी सरकार अपनी कमी उजागर होने देना नहीं चाहती है। सरकार पत्रकारों को अपनी कमियां उजागर नहीं होने देना चाहती है। पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। आज पत्रकारिता के सामने अधिक आयाम होने के नाते सरकार का डरना लाजमी है। पत्रकारिता में हमें सही दिशा में काम करने चाहिए। जनहित के मुद्दों को हमेश गुथते रहना चाहिए। आज के समय हमारे सामने सबसे बड़ा संकट पत्रकारिता को पवित्र बनाए रखना है। यह कहना तो बहुत आसान है लेकिन निभाना बहुत मुश्किल। पत्रकारिता का छवि खराब होने के कारण आज हमें उचित मान-सम्मान‌ नहीं मिल पा रहा है। सत्ता और पत्रकारिता के बीच संघर्ष होती रहेगी। पत्रकारों को पेशागत ईमानदारी बरतनी पड़ेगी। पत्रकारिता का काम है समाज और सत्ता को आइना दिखाना ना कि सत्ता को माननीय कहना।


स्वागत करते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी ने कार्यक्रम की सार्थकता पर चर्चा किया। धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री मनोज यादव ने किया। संचालन अर्चना श्रीवास्तव ने किया।
इसके पूर्व प्रेस क्लब के दो दशक पूरे होने पर संस्थापक सदस्यों व पूर्व अध्यक्ष को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया। रामेंद्र सिन्हा, कौशल त्रिपाठी, आनन्द राय, वागीश धर द्विवेदी, राकेश सारस्वत, एस पी सिंह, श्रीकृष्ण त्रिपाठी, संजय सिंह, सुशील वर्मा, सर्वेश दुबे, उदय प्रकाश पाण्डेय, सुजीत पांडेय, धर्मेन्द्र सिंह, अजीत यादव, सौरभ पाण्डेय, अनिल यादव, जगदम्बा तिवारी, बच्चा पांडेय, शैलेश मणि त्रिपाठी समेत कई मीडिया कर्मी सम्मानित किए गए।


इस अवसर पर अध्यक्ष मार्कण्डेय मणि, उपाध्यक्ष अतुल मुरारी तिवारी, मंत्री मनोज यादव, सयुक्त मंत्री आशीष भट्ट, कोषाध्यक्ष बैजू गुप्ता, कार्यकारिणी सदस्य दीपक त्रिपाठी, अंगद प्रजापति में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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