नए साल की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन

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अशफाक अहमद

गोरखपुर,31 दिसंबरइण्डो नेपाल पोस्ट


भारत की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज़ादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है, इसी क्रम में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर देश के शहीदों को नमन् करते हुए, ताहीरा इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (टीम्स) के प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि टीम्स के प्रबन्धक शोएब अहमद थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कवियित्री एवं शिक्षिका डॉ. चारूशीला सिंह ने किया।


मुख्य अतिथि शोएब अहमद ने कहा कि हम कभी भी देश पर जान देने वाले अमर शहीदों की कुर्बानियों को भुला नहीं सकते। आज जो हमें आज़ादी मिली है और हम आज़ादी की 75वीं वर्ष गांठ मना रहे हैं, इसमें हमारे वतन पर मर मिटनें वाले बलिदायिों का खून शामिल है।


टीम्स में प्राचार्य डॉ. उदय अग्रहरि ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से हम बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत कराने का प्रयास कर रहे हैं कि किस प्रकार और किन विषम परिस्थितियों में हमने ये आज़ादी हासिल की है।


कार्यक्रम का संचालन मुहम्मद फर्रूख जमाल ने कुछ इस अन्दाज़ में – रहता नहीं है खुश वो कभी जि़न्दगी के साथ, करता है छल जो आदमी एक आदमी के साथ, पेश किया। कार्यक्रम को संयोजिका नेहा सिंह ने आये हुए अतिथियों का अभिनंदन किया। कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आरम्भ सरस्वती वंदना से डॉ. चरूशीला सिंह ने किया।


इस मौके पर डॉ. शाहीन खान चीफ प्राक्टर टीम्स, अजय यादव एचओडी, संध्या यादव, तसनीफ अहमद, साक्षी सीनियर, ज़ोया खान आदि उपस्थित थीं।


जिन कवियों और शायरों ने अपनी रचना प्रस्तुत की वे इसप्रकार हैं
इस मौके पर चारूशीला सिंह ने – तुम्ही को गुनगुनाना चाहती हैं, मेरी $गज़लें बहाना चाहती हैं। तेरी चाहत की रिमझिम बारिशों में, ये सांसें भीग जाना चाहती हैं। पेश की।


लौट आना ए मेहरबाँ मेरे, लौट आना जो वबा थम जाए। ये मोहब्बत के आख़िरी दिन हैं, ये ज़रूरत के आखिरी दिन है-शिवांगी गोयल ने पेश की।


शाकिर अली शाकिर ने -शरारत में मैं उसकी अपना बचपन देखता हूं जब, मेरा बच्चा मेरे कांधे पे आकर बैठ जाता है।


वसीम मज़हर ने- इन्हें दीदार को देो हरारत, मेरी आंखों को ठण्डक लग रही है।


अतीक अहमद- तेरे अपने से गुलशन में बहार आई है, तेरे जाने से गुलशन में तनहाई है।


डॉ. एस.एस. पाण्डेय- राही अपनी राह पर चलता जा तू चलता जा,स्वस्थ जीवन शैली के साथ और स्वस्थ विचारों के साथ चलता जा- पेश की।

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