‘ज़रा याद उन्हें भी कर लो’:-हाकी के जादूगर ध्यानचंद के जीवन से रूबरू हुए जे .एस. आई.के छात्र

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बच्चे मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़े रोचक,व प्रेरक प्रसंगों को सुनकर भावविभोर हो गए।


पचपेड़वा, बलरामपुर,10 सितंबर,2022।इंडो नेपाल पोस्ट


छात्र छात्राओं के चतुर्मुखी विकास व बौद्धिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ये ज़रूरी है कि वो राष्ट्रनायकों,युग पुरुषों के जीवन और उनके संघर्षों से परिचित हों,वो उनके सिद्धांतों, एवं आदर्शों को आत्मसात करके सफलता के नए नए कीर्तिमान बना सकते हैं।


इसी उद्देश्य के तहत बलरामपुर जिले के पचपेड़वा स्थित जे.एस. आई.स्कूल में हर शनिवार को “ज़रा याद उन्हें भी कर लो” प्रोग्राम की शुरुआत की गई है।जिसके तहत युग पुरुषों और महानायकों के जीवन से बच्चों को रूबरू कराया जाता है।


इस शनिवार 10 सितंबर को श्रृंखला की 12वीं कड़ी में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जीवन से छात्र छात्राओ को रूबरू कराया गया ।जे एस आई स्कूल के फाउंडर मैनेजर सग़ीर ए ख़ाकसार ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त , 1905 में प्रयागराज में हुआ था।लोग उन्हें प्यार से दद्दा व टाइगर भी कहते थे।


हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश को तीन ओलंपिक खेलों – 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक, 1932 के लॉस एंगेल्स ओलंपिक और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में देश को तीन-तीन स्वर्ण पदक दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद देश के सर्वकालीन महानतम खिलाड़ी माने जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनके चार सौ गोल एक ऐसा कीर्तिमान है जिसे उनके बाद कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं तोड़ सका।
ख़ाकसार ने कहा कि उन्हें हॉकी के खेल में वही दर्ज़ा हासिल है जो फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन का है।उनका खेल देखकर ब्रैडमैन ने कहा था कि वे हॉकी में गोल नहीं करते, क्रिकेट की तरह रन बनाते हैं।

गेंद उनकी हॉकी स्टिक से ऐसी चिपकती थी कि प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को आशंका होती कि वे लकड़ी की बनी किसी वास्तविक स्टिक से नहीं, जादुई स्टिक से खेल रहे हैं। उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में हॉलैंड में उसे तोड़कर देखा गया था।

इसी तरह जापान के लोगों को आशंका होती थी उनकी हाकी में गोंद लगा हुआ है।एक ओलंपिक मैच में उनकी कलाकारी देखकर अडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने तक की पेशकश की थी।


बच्चे मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़े रोचक,व प्रेरक प्रसंगों को सुनकर भावविभोर हो गए।


इस अवसर पर रवि प्रकाश श्रीवास्तव,अलका श्रीवास्तव,किशन श्रीवास्तव, सुशील यादव,किशोर श्रीवास्तव,मुदस्सिर हुसैन,साजिदा खान,सचिन मोदनवाल,नसीम कुरेशी,पूजा विश्वकर्मा, शमा,तबस्सुम,फरहान खान,अंजली कसौधन,महज़बीं सिद्दीकी, नेहा खान,वंदना चौधरी,आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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