सरहद के सितारे:डुमरियागंज में कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक क्रन्ति से युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं राधेश्याम!

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जीव विज्ञान से स्नातक राधेश्याम वर्मा ने गांव के लोगों को अपने साथ लेकर सीमित संसाधन मे कृषि उपकरणों के निर्माण के संबंध में कार्यशाला खोला जिसमें बेरोजगारों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भारत के संदेश को गति देने का काम किया है, जिससे क्षेत्र के युवाओं प्रेरणा स्रोत के रूप में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं ।

सयैद असगर जमील

सयैद असगर जमील

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर,22 दिसम्बर। इण्डो नेपाल पोस्ट

मंज़िले उन्ही को मिलती है जिनके ख्वाबो में जान होती है,पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है।जनपद सिद्धार्थनगर के पिछड़े क्षेत्र सोनबरसा निवासी राधेश्याम ने गांव में ही कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक क्रांति के माध्यम से युवाओं को हौसला दिया है ।क्रोनाकाल मे पूरा भारत जब बेरोजगारी की समस्या से संघर्ष कर रहा था। लोग बड़ी-बड़ी कंपनियों से निकाले जा रहे थे ।लोगों के सामने घोर आर्थिक संकट मुंहबाये खड़ी थी।ऐसी बिषम परिस्थिति मे जीव विज्ञान से स्नातक राधेश्याम वर्मा ने गांव के लोगों को अपने साथ लेकर सीमित संसाधन मे कृषि उपकरणों के निर्माण के संबंध में कार्यशाला खोला जिसमें बेरोजगारों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भारत के संदेश को गति देने का काम किया है, जिससे क्षेत्र के युवाओं प्रेरणा स्रोत के रूप में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं ।

कृषि कार्य के लिए जहां लोगों को दूसरे जनपद व दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता था ऐसे में अपने ही क्षेत्र में लोगों को खेती किसानी में उपयोग होने वाले उपकरणों का निर्माण कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती देने का काम किया है।

क्षेत्र के गुलजार सुल्तान रुस्तम अली ,फूलचंद, रामबहादुर ,गोली विश्वकर्मा ,पन्नालाल, आदि को अपने साथ बिना जात पात ,वर्ग भेद किए जोड़कर अखंडता में एकता का संदेश देकर कृषि क्रांति को आगे बढ़ाने का काम किया है।

स्थानीय प्रशासन ने इनके द्वारा बनाए गए उपकरणों को देखकर उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना किया है। सीमित दायरे में रोटावेटर और जाली बनाकर यूकेलिप्टस का तेल निकालने वाली मशीन के साथ-साथ लेबलर और कल्टीवेटर का निर्माण कर ऐतिहासिक कार्य किया है।उनके इस कृत से युवाओं कोआगे बढ़ने में मदद मिल रही है

राधेश्याम का दावा कि उनके द्वारा बनाया गया रोटावेटर काफी प्रभावशाली है उससे जुताई ज्यादा होती है और तेल की खपत कम होती है।इसका परीक्षण करके कई बार उन्होंने गांव वालों को दिखाया भी है

कोरोना महामारी के इस दौर में जहां युवा बेरोज़गारी का दंश झेल रहा है । ऐसे समय में राधेश्याम ने लोगो को रोजगार देकर बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है जिसकी पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है।

सग़ीर ए खाकसार

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