शिवपति पीजी कॉलेज में भारत में राजदण्ड की परम्परा (सेंगोल) आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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एमएस खान

शोहरतगढ़, 08 अप्रैल 2024। इण्डो नेपाल पोस्ट

राजदण्ड की परम्परा प्राचीन काल से रही है। राज दंड की परंपरा सृष्टि के आरंभ से ही है। राजदण्ड के बिना विकसित राष्ट्र की परिकल्पना पूरी तरह नहीं कि जा सकती।

राजदण्ड का महत्व हर समय पर रहा है और रहेगा। सोमवार को शिवपति पीजी कॉलेज में भारतीय इतिहास एवं अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ,भारतीय इतिहास एवं संकलन समिति गोरक्ष प्रांत एवं प्राचीन इतिहास विभाग शिवपति स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारत में राजदण्ड की परम्परा (सेंगोल) आधारित आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर सचिदानंद चौबे ने ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि किसी भी देश व शासक को निरंकुश होने से राजदण्ड बचाता है। कोई शासक संवैधानिक रूप से राजदण्ड (सेंगोल) को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

कॉलेज के प्राचार्य प्रोo अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि नयी पीढ़ी को इतिहास समझने और उसपर गहनता से अध्ययन की आवश्यकता है।

तमाम ऐसे विषय हैं जिसपर इतिहास के छात्र शोध कर सकते हैं। कॉलेज में प्राचीन इतिहास विभाग द्वारा एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें 33 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया ।

छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक मॉडल को प्रस्तुत किया गया। निर्णायक मंडल द्वारा अवलोकन करने पर प्रथम स्थान हासिल करने वाली शुभी मौर्य , द्वितीय मीना कांदू व तृतीय-शालू चौहान को मिलने उन्हें पुरस्कृत किया गया।

छात्रा सपना पाठक, नेहा पासवान व अर्चना को सांत्वना पुरस्कार आयोजन समिति ने दिया।

इस दौरान आयोजन सचिव डॉ0 ज्योति सिंह, मेजर मुकेश कुमार, डॉ0 धर्मेंद्र सिंह, विनोद कुमार, डॉ0 जय नारायण त्रिपाठी, डॉ0 राम किशोर सिंह, डॉ0 उमाशंकर प्रसाद यादव, प्रवीण कुमार, डॉ0अजय कुमार सिंह, रोहिणी त्रिपाठी, निकिता त्रिपाठी, नेहा गुप्ता, प्रतीक मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।

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