नेपाल के प्रतिष्ठित इस्लामिक शिक्षण संस्थान जामिया सिराज-उल-उलूम अल-सलफिया के  नए शैक्षणिक सत्र  की पहली औपचारिक बैठक समपन्न

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कृष्णानगर, कपिलवस्तु,1जुलाई।इण्डो नेपाल पोस्ट


नेपाल के प्रतिष्ठित इस्लामिक शिक्षण संस्थान जामिया सिराज-उल-उलूम अल-सलफिया के  नए शैक्षणिक सत्र  की पहली औपचारिक बैठक में पठन पाठन,अनुशासन,और पाठ्यक्रम  आदि विन्दुओं पर विधिवत चर्चा की गई।

जामिया में पुराने और नए छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षण की प्रक्रिया पूरे जोश और उत्साह के साथ शुरू हो गई है। शिक्षण की इस नई पद्धति से जहां छात्र और उनके संरक्षक संतुष्ट हैं, वहीं शिक्षक भी खुश हैं। हम इस श्रृंखला को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। शिक्षकों की कई वर्चुअल बैठकें भी हो चुकी हैं और सारा काम अनुशासन और आपसी परामर्श से किया जा रहा है।


मंगलवार 29 जून को जामिया के प्रबंधक शमीम अहमद नदवी की अध्यक्षता में नए सत्र की तैयारी को लेकर शिक्षकों की अहम बैठक हुई। जिसमें अधिकांश शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।बैठक में भाग लेने वालों में शेख-उल-जामिया मौलाना खुर्शीद अहमद सलफी, रैक्टर डॉ अब्दुल गनी अल-क़ूफ़ी , परीक्षा नियंत्रक  मौलाना अब्दुल रशीद मदनी, मौलाना शफीउल्लाह मदनी ,मौलाना अनीस-उर-रहमान मदनी शामिल थे। बैठक में अरबी विभाग के मौलाना शराफत हुसैन,  मौलाना सऊद अख्तर अब्दुल मन्नान सलफी, मासिक पत्रिका सिराज के सहायक संपादक हाफिज इरफान नोमानी, और अन्य  शिक्षक उपस्थित थे।
बैठक में एजेंडा पर चर्चा के दौरान सभी लोगों  ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।
ऑनलाइन शिक्षा के महत्व पर अपनी राय रखते हुए  डॉ अब्दुल गनी अल-क़ूफ़ी  ने जहां इसे वक्त की ज़रूरत बताया वहीं अपनी कुछ चिंताओं को भी व्यक्त किया ।उन्होंने कहा कि पैरेंट्स अपने बच्चों की गतिविधियों पर पैनी नज़र रखें।
मौलाना खुर्शीद अहमद सलफी ने ऑनलाईन शिक्षण की  पद्धति की उपयोगिता को स्वीकार करते हुए इसे बेहतर और अधिक उपयोगी बनाने का आह्वान किया और इसके लिए उन्होंने कई  सुझाव भी दिए।


मौलाना अब्दुल रशीद मदनी ने छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति सुनिश्चित करने और इसे कम से कम 80% तक लाने पर ज़ोर दिया और कहा कि   वार्षिक परीक्षा में 70% उपस्थिति की व्यवस्था ऑनलाइन शिक्षा में भी लागू की जाएगी और अन्य शिक्षकों ने इसके लिए उचित और व्यावहारिक सुझाव  भी दिए। करीब दो घंटे तक चली बैठक में लगभग सभी शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
बैठक में  मौलाना अब्दुल मन्नान सलफी की आकस्मिक मृत्यु के बाद से बाधित मासिक अल-सिराज को समय पर पुन: प्रकाशित करने के लिए आवश्यक सुझावों पर विचार किया गया।
मदरसे की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और छात्रों से ली जाने वाली फीस की वसूली सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुझावों पर भी विचार किया गया।
स्पष्ट है कि देश-विदेश में लॉकडाउन की वजह से और कई अन्य अपरिहार्य कारणों से सभी मदरसों में आय के सभी स्रोत बंद हैं।जामिया सिराज-उल-उलूम भी इससे बुरी तरह प्रभावित है। इसके बावजुद भी मदरसे के ज़िम्मेदार, और शिक्षकों ने जामिया में शिक्षण और शिक्षण प्रक्रिया को पिछले मानकों के अनुसार पूरे साहस और समर्पण के साथ जारी रखा है।

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