मेरा बचपन कितना दीवाना ,हर गम से है बेगाना:जुग्गी राम राही

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जुग्गी राम राही

न कोई चिंता, न कोई भय, न कोई जिम्मेदारी, उन्मुक्त जीवन शैली। यही है बचपन। आज की रचना प्यारे बच्चों के लिए बाल गीत के रूप में प्रेषित……

मेरा बचपन कितना दीवाना।
हर गम से है बेगाना।।

मां की आंखों का तारा।
पापा को लगता प्यारा।
कोई देखो नजर न लगाना
हर गम से है बेगाना।
मेरा बचपन…..

मौज करें खायें खेलें।
कभी पिकनिक जायें मेले।
अंदाज मेरा मस्ताना
हर गम से है बेगाना।
मेरा बचपन…..

कपड़े अच्छे नये पहनें।
दोस्त कहें सब क्या कहने।
देखे जलवा राही जमाना
हर गम से है बेगाना।
मेरा बचपन……

( जुग्गी राम राही,पेशे से शिक्षक व नेशनल एनाउंसर हैं,)

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