सरहद के सितारे-दो:यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित ऋषि गुप्ता ने छोटी उम्र में किया बड़ा कमाल, रूस व ताइवान में हुए साइंस समिट में ले चुके हैं भाग

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सग़ीर ए खाकसार


ऋषि गुप्ता अभी इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष के छात्र हैं ,भैरहवाँ में अध्यनरत हैं।उम्र महज 17 साल के करीब है।पढ़ने में बेहद ज़हीन और स्वाभवतः खोजी प्रवृत्ति के हैं।हालांकि उनके घर का माहौल पूर्णतयः व्यवसायिक है।उनके पिता विनोद गुप्ता कपड़े के व्यवसायी हैं ।मां संगीता गुप्ता साधारण गृहणी हैं।उनके दादा पारस नाथ गुप्ता भी व्यवसायी हैं।पूर्ण व्यवसायिक माहौल में ऋषि के शौक सबसे अलग है। पढ़ने लिखने और सीखने की  प्रवृत्ति ,उन्हें औरों से अलग करती है।ऋषि ने धारा से इतर अपना अलग रास्ता बनाकर एक नई मिसाल कायम की है।ऋषि गुप्ता ने बिना मुर्गी के ही मुर्गी के अंडे से चूजे निकालने वाली मशीन पिछले वर्ष बनायी थी जब वो हाई स्कूल के छात्र थे।उनकी इस खोज की सर्वत्र प्रशंशा हो रही है।यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित ऋषि रूस व ताइवान में हुए साइन्स समिट में भाग ले चुके हैं।

गत 22 और 23 जून को काठमाण्डु में “थर्ड  नेपाल युथ साइंस समिट 2019″का आयोजन किया गया था। ब्रेनी क्यूब रिसर्च आर्गेनाईजेशन के तत्वधान पटान कालेज ऑफ  प्रोफेशनल्स में सम्पन्न हुआ।जिसके मुख्यातिथि नेपाल सरकार के सूचना एवं संचार मंत्रालय के आईटी विभाग के निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार मिश्र थे।कॉन्फिडेंस नेपाल और प्रभु पे के संयुक्त सहयोग से इस समिट का आयोजन किया गया था।ऋषि गुप्ता ने अपने प्रोजेक्ट को दुनिया कई देशों से आये  मसलन अमेरिका,भारत ,मलेशिया आदि देशों से आये करीब 45  वैज्ञानिकों के समक्ष रखा।ऋषि ने होम मेड एग इन्क्यूबेटर को कैसे बनाया और यह कैसे संचालित होता है आदि बारीकियों का शानदार विश्लेषण किया।इस उपलब्धि पर समिट में ऋषि को दूसरा स्थान मिला।इस समिट में करीब 50 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।उन्हें मैडल और सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है।उन्हें यह सम्मान उनके खोज “होम मेड एग इन्क्यूबेटर”के लिए दिया गया है।ऋषि की इस उपलब्धि पर सीमाई इलाके में हर्ष का माहौल है।
।समिट  में इंजीनियरिंग ,जीव शास्त्र,भौतिक शास्त्र,इंफॉर्मशन टेक्नॉलजी ,आदि विषयों से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के नए नए अविष्कारों को युवा वैज्ञानिकों ने दुनिया वैज्ञानिकों के समक्ष  प्रस्तुत किया।जिसमें  सफल श्रेस्ठ ने प्रथम ,ऋषि गुप्ता ने दूसरा,और नीरज अधिकरी ने तीसरा स्थान हसिल किया।

इण्डो नेपाल पोस्ट के संपादक सग़ीर ए खाकसार से बातचीत करते हुए ऋषि गुप्ता

इण्डो नेपाल बॉर्डर पर स्थित कृष्ण नगर ,नेपाल के रहने वाले  ऋषि  पिछले दिनों  बिना मुर्गी के मुर्गी के अंडे से  चूजा निकालने वाली मशीन बनाने के बाद सुर्खियों में आये थे।सम्मेलन में इसी अविष्कार को  ऋषि गुप्ता  ने शानदार ढंग से परजेंट किया।ऋषि गुप्ता ने इण्डो नेपाल पोस्ट  को बताया कि मात्र एक हज़ार रुपये नेपाली की लागत से बने इस “होम मेड एग इनक्यूबेटर” से 100 से 150 तक मुर्गी का बच्चा उत्पादन किया जासकता है।ऋषि गुप्ता ने आरंभिक शिक्षा कृष्ण नगर के सेंट जूडस स्कूल से हासिल की है व  केपीएम एजुकेशन भैरहवाँ से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
ऋषि गुप्ता के पिता विनोद गुप्ता कहते हैं कि ऋषि शुरू से ही खोजी प्रवृत्ति के थे।नित नए प्रयोग में खुद को रमाये रखना उसका मानो शगल था।उनकी माँ संगीता गुप्ता कहती हैं ऋषि की अभिरुचि शुरू से विज्ञान और नवीन अन्वेषणों में थी।वो हमेशा किसी न किसी प्रोजेक्ट में खुद का ब्यस्त रखता था।अब उसकी कामयाबी पर गर्व होता है।ऋषि तीन भाई और बहनों में सबसे बड़े हैं।ऋषि के दो भाई और एक बहन है । छोटा भाई सुजाल गुप्ता  अभी कक्षा नौ का विद्यार्थी है।छोटी बहन साम्भवी गुप्ता क्लास यूकेजी में पढ़ती है।ऋषि की कामयाबी पर घर मे खुशी का माहौल है।हालांकि साम्भवी को समझ मे तो कुछ नही आरहा है लेकिन उसने घर मे धमाल मचा रखा है। उसके चेहरे की मुस्कान से भाई ऋषि गुप्ता की कामयाबी की झलक साफ साफ दिखाई पड़ती है।


बढनी-कृषणा नगर भारत-नेपाल का बार्डर है। दोनों देशों के बीच मैत्री पूर्ण सम्बन्ध है ऋषि का परिवार कृष्णा नगर में रहता है। उसकी इस उपलब्धि पर कृष्णा नगर ही नही बल्कि बढ़नी के लोग भी काफी खुश हैं। जब ऋषी बढ़नी आया तब बातचीत में विस्तार से बताया कि पहली बार उसने मोबाइल चार्ज करने वाला पावर बैंक बनाया था जिसे लेकर वो अपने स्कूल टूर पर गए थे।तब वो पांचवीं क्लास में पढ़ते थे।उसके बाद जब वो छठी क्लास में गए तब उन्होंने उन्होंने वाटर लेबल इंडिकेटर बनाया था।होम मेड एग इन्क्यूबेटर के बारे में ऋषि ने बताया कि छुट्टियों में मैं गोरखपुर अपने मामा संदीप चौधरी के वहाँ गया था।मामा के साथ उनके दोस्त की हैचरी देखा।जहाँ प्रतिदीन लाखों चूजे उत्पादन किये जारहे थे।यहीं से मेरी उत्सुकता बढ़ी।वीडियो की मदद से और कुछ ज़रूरी सामग्री ऑनलाइन मंगवाकर इन्क्यूबेटर बनाया।पहली बार मैंने बाजार से अंडे लाकर उसमें रखा,परिणाम शून्य रहा।बाजार से लाये अंडे में प्रजनन क्षमता कम होने की वजह कोई परिणाम नही मिला।तीन बार असफल रहा।चौथी बार मुर्गी के अंडे को रखा तब जाकर सफलता मिली।लेकिन तापक्रम का संतुलन न मिलने की वजह से अंडे से चूजे तो निकले लेकिन कुछ क्षण बाद वे जीवित नही बचे।लेकिन मैंने अपनी कोशिश जारी रखी और पांचवीं बार पांच अंडे रखे और पांचों चूजे जीवित निकले।इस प्रयोग में करीब पांच माह से भी अधिक समय लगा।


ऋषि अपने इस कामयाबी का श्रेय भौतिकी के शिक्षक राम प्रसाद कोहार,अमृत गेवाली और टेक्निकल एजुकेशन के शिक्षकअनिल घोटेना को देते हैं।ऋषि कहते हैं उक्त गुरुजनों का आशीर्वाद हमेशा मिला।उन्होंने न सिर्फ सीखने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया बल्कि समय समय पर अपना मार्गदर्शन भी दिया।ऋषि परिवार के प्रति भी आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि मेरे मेरे माता पिता ने कभी मेरा उपहास नहीं उड़ाया हमेशा ही सकरात्मक मार्गदर्शन किया।परिवार के भरपूर सहयोग ने ऊर्जा,साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाया।
कृष्णा नगर के युवा मेयर रजत प्रताप शाह भी ऋषि की इस कामयाबी पर फुले नही समा रहे हैं श्री शाह कहते हैं कि हमे अपने नगर के इस लाल पर गर्व है।सुविधाओं के अभाव में कोई भी प्रतिभा दम नही तोड़ेंगीं।जो भी ज़रूरी सुविधाएं होंगी उपलब्ध करवाई जाएगी। विदेशी मामलों के जानकार मंगल प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि ऋषि ने निश्चित रूप से अपने इस अभिनव प्रयोग से शहर का मान बढ़ाया है।आज की नई पीढ़ी ही समाज और देश की मेरुदंड है।ये जितनी ज्ञानी होगा देश और समाज उतना ही उन्नति करेगा।
ऋषि आत्मविश्वास से लबरेज़ हैं।नित नए प्रयोग उनके जीवन का हिस्सा बन गया है।फिलवक्त ऋषि हैड्रोपोनी तकनीक पर गहन अध्ययन और शोध में व्यस्त हैं।उनका कहना है कि इस तकनीक की मदद से बिना मिट्टी का प्रयोग किये सब्जियाँ उगायी जासकती हैं।खोजी प्रवृत्ति के ऋषि में वैज्ञानिकों के सारे लक्षण अभी बाल्यवस्था से दिखाई देरहे हैं।”होनहार बिरवान के होत चीकने पात ‘की कहावत को वो भलीभांति चरितार्थ कर रहे हैं। समय के साथ साथ ज्ञान और तकनीक की समझ उनमें और भी बढ़ेगी । देश और समाज को समृद्धि बनाने में उनकी भूमिका कारगार होगी। अन्वेषण और प्रयोग की एक  लंबी और अंतहीन यात्रा पर ऋषि निकल चुके हैं ,इस उम्मीद के साथ कि-
“सफर का एक नया सिलसिला बनाना है
अब हमें आसमान तलक रास्ता बनाना है”।

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