बलरामपुर:-रोज़ेदारों ने हिन्दू भाई का अन्तिम संस्कार हिन्दु रिति रवाज के साथ किया,अंतिम यात्रा भी विधि विधान के साथ निकाली

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इक़बाल

बलरामपुर,03 मई।इण्डो नेपाल पोस्ट

शाबान अली और उनकी पूरी टीम को दिल से सलाम, शाबान अली ही जैसे लोगों की वजह से हमारे देश की एकता, अखण्डता, धार्मिक सौहार्द, आपसी प्रेम और भाई चारे के सौहार्दपूर्ण वातावरण को कुछ सम्प्रदायिक ताक़तें नफ़रत फ़ैलाने के बावजूद भी आज तक दूषित नहीं कर पाईं क्यों कि यह धार्मिक सौहार्द के प्रतीक हमेशा ही आगे आकर मानवता और सौहार्द की मिसाल पेश करते हैं ।

हुआ यूं कि नगर के मोहल्ला पुरैनिया तालाब निवासी मुकुंद मोहन पाण्डे (55) की मृत्यु हो गई थी चूंकि पिछले कई दिनों से मृतक परिवार कोरोना जैसी महामारी का शिकार है कुछ दिनों पूर्व ही परिवार के एक सदस्य को खोने के बाद परिवार के लोग काफ़ी डरे सहमे हैं। इसी दहशत के बीच कोरोना पीड़ित मुकुंद मोहन पाण्डे की भी मृत्यु हो गई। कोरोना से भयभीत परिवार घर के अपने बुज़ुर्ग के अंतिम संस्कार को लेकर भी काफ़ी चिंतित था क्यों कि कोई भी व्यक्ति लाश को छूने से भी खौफ़ खा रहा था। जब परिवार को कोई सहारा नज़र नहीं आया तब मृतक के पुत्रों ने धार्मिक सौहार्द के प्रतीक शाबान अली से मदद मांगी और कहा अब आप ही इस संकट की घड़ी में हमारी मदद कर सकते हैं किसी तरह लाश को शमशान तक पहुंचवा दीजिए ता कि अंतिम संस्कार हो जाए। शाबान अली ने शोकाकुल परिवार को संतावना देते हुए कहा कि आप चिंतित न हों हम पाण्डे जी का पूरी धार्मिक रीत रवाज के साथ अंतिम संस्कार करेंगे। दुःख और मुश्किल की इस घड़ी में असहाय परिवार को मानो शाबान अली के रूप में कोई इंसान रूपी फ़रिश्ता मिल गया हो। शाबान अली ने अपनी टीम को मदद के लिए बुलाया और मिल कर सभी रोज़ेदारों ने हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार पहले मृतक के अंतिम यात्रा की तैयारी की और फ़िर ख़ुद ही मुस्लिम रोज़ेदारों ने कोरोना पीड़ित पाण्डे जी के मृत शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया कफ़न आदि पहनाया और फ़िर अंतिम यात्रा पर लेकर चल दिए। शाबान अली और उनकी पूरी टीम ने शव यात्रा पूरी होने के बाद चिता तैयार की और फ़िर अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करने के बाद अंत मे मृतक के पुत्रों ने मुखाग्नि दी।

शाबान अली और उनकी टीम ने न सिर्फ़ मानवता धर्म निभाया बल्कि यह सन्देश भी दिया कि मुश्किल समय में किसी के काम आना ही सच्ची समाजसेवा है और सेवाभाव से किया जाने वाला कार्य बिना किसी भेदभाव के सच्चे दिल से होना चाहिए।

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