प्रसंगवश:न्याय में विलंब क्यों ..?बलात्कारियों का सरंक्षण क्यों?

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प्रतिमा विश्वकर्मा ,पत्रकार, कपिलवस्तु, नेपाल



प्रतिमा विश्वकर्मा


हमारे देश में हिंसा, बलात्कार और हत्या की घटनाएं दिनों दिन  बढ़ती जा रही हैं।  कुछ दिन पूर्व प्रदेश नंबर दो के महोत्तरी अंतर्गत वर्दीवास में एक छह वर्षीय बच्ची की बलात्कार और हत्या की घटना के बाद  से प्रदेश नंबर दो में मासूम को  न्याय दिलाने के  लिए जमकर विरोध प्रदर्शन हुए।  लेकिन घटना के हफ्तों बाद भी उस मासूम को अभी तक न्याय नहीं मिला।


यही नही ,हमारे देश नेपाल में निर्मला पंथ, गुलफसा खातून सहित कई बहनें बलात्कार की की जघन्य घटना के बाद   अपनी जान तक गंवा चुकी हैं ,और उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है। न्याय में बिलंब चिंता का विषय है।
मां बाप अपनी बेटी को फूल की तरह परवरिश करते हैं,उसे एक खरोंच भो लगे तो उनकी जान निकल जाती है,वो अपनी जरूरतों को कम करके अपनी बेटी के अरमानों को पूरा करने के लिए दिनों रात जद्दोजहद करते हैं। लेकिन यही मासूम जब बलात्कार और हिंसा की शिकार होती है तो मानवता तो शर्मसार होती ही है माँ बाप भी जिंदा लाश में बदल जाते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि इन बलात्कारियो को आखिरी संरक्षण कौन देता है?इन्हें न्याय मिलने में विलंब क्यों होती है?
बलात्कार और हिंसा के बाद न्याय दिलाने हेतु  आंदोलन शुरू हुआ, सोशल मीडिया सहित विभिन्न मीडिया पर भी घटना खूब वायरल हुईं।सरकारी टीम पहुंची और  जांच शुरू की, लेकिन बलात्कारी का कोई सुराग नहीं मिला?जो कि चिंता का विषय है।ताज्जुब की बात ये है कि ऐसी घटनाओं को जल्द ही हम सब लोग भी भूल जाते है।
घरेलू हिंसा ,महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण और यौन हिंसा की घटनाएं हमारे समाज में बढ़ी है।


यूँ तो हमारा  सभ्य समाज  महिलाओं / लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच दिखाते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं,  महिलाओं और  गरीब बाल पीड़ितों की रक्षा के लिए बड़े बड़े भाषण देते हैं फिर भी पीड़ितों को न्याय न मिल पाना और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होना कई आशंकाओं को जन्म देता है।
हमारे देश में, महिलाओं / लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार / बलात्कार और हत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है।  सरकार को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भी भयावह होगी?

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