मकर संक्रांति विशेष: प्रकृति का उत्सव !

भारत समाज

देवताओं की बात देवता जाने,हमें तो सूर्य का हर रूप,हर गति, हर अंदाज प्यारा है। हमारी पृथ्वी पर जो भी जीवन है, सौंदर्य है, रंग है – वह सूर्य के कारण ही है।

ध्रुव गुप्त

(लेखक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी है फिलवक्त स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं)

आज मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना का दिन है जिसका संबंध पृथ्वी के भूगोल में सूर्य की स्थिति से है। यह वह दिन है जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरता है। हमारा देश पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। संक्रान्ति से पहले दक्षिणी गोलार्द्ध में होने के कारण सूर्य हमसे दूर होता है। तब यहां पर रातें बड़ी, दिन छोटे, प्रकाश कम और मौसम सर्द होता है।

मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य के पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करने के साथ रातें छोटी, दिन बड़े, प्रकाश प्रखर और मौसम गर्म होने लगता हैं।यह हमारी प्रकृति में एक और ऋतु परिवर्तन का आरंभ है। दक्षिणायन को शास्त्रों में देवताओं की रात्रि अर्थात अशुभ और उत्तरायण को देवताओं का दिन या शुभ माना गया है।

देवताओं की बात देवता जाने,हमें तो सूर्य का हर रूप,हर गति, हर अंदाज प्यारा है। हमारी पृथ्वी पर जो भी जीवन है, सौंदर्य है, रंग है – वह सूर्य के कारण ही है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण होने वाला हर ऋतु परिवर्तन जीवन की आवश्यकता है। उसमें शुभ-अशुभ जैसा कुछ भी नहीं। तो आज के इस परिवर्तन के लिए भी सुबह-सुबह सूर्य का आभार प्रकट करिए और दही-चूड़ा-गुड़-तिलकुट पर टूट पड़िए। जहां तक संभव हो जरूरतमंदों को भी ख़िलाईए। दिन में पतंगे उडाईये और दोस्तों के साथ मस्ती करिए। प्रकृति के हर रंग को एक उत्सव में बदल देना हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा सौंदर्य है।

सग़ीर ए खाकसार

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