नेपाली कांग्रेस व ओली विरोधी कम्युनिस्ट धड़ा सरकार बनाने की दौड़ में

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सभी को मधेशी दलों के समर्थन की दरकार

यशोदा श्रीवास्तव

काठमाण्डू,12 मई।इण्डो नेपाल पोस्ट

विश्वास मत मेंओली सरकार के बिफल होने के बाद नेपाल में नई सरकार की रस्सा कसी शुरू हो गई है। मंगलवार दिन भर दो अलग अलग गुटों ने सरकार की संभावना पर विचार विमर्श किया। नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेरबहादुर देउबा की अध्यक्षता में पार्टी पदाधिकारियों और सांसदों की बैठक में सरकार बनाने की संभावना पर चर्चा हुई तो दूसरी ओर प्रचंड और माधव नेपाल गुट ने सरकार बनाने की गुणा गणित लगाने में व्यस्त रहे।

इस सबके बीच काठमांडू में चीनी दूतावास भी ओली के बदले प्रचंड या माधव नेपाल के नेतृत्व में सरकार बनाने की कोशिश में है। इसके लिए वह ओली गुट के सांसदो से लगातार संपर्क साधे हुए है।

बता दें कि नेपाल के निचली सदन (प्रतिनिधि सभा) के कुल (175 में से) मौजूद 171 सदस्यों में बहुमत के लिए 136 सदस्यों की जरूरत है। यह सदस्य संख्या एमाले के पास तो है लेकिन इसमें से ओली समर्थक 28 सांसद अलग हो चुके हैं लिहाजा एमाले भी अपने बल पर दुबारा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। देखा जाय तो ओली के विरोध में 124 सदस्यों ने वोट डाला,28 सदस्य सदन से अनुपस्थिति रहे और 15 सदस्यों ने उपस्थित रहकर भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया। देखा जाय तो 124,28 और 15 का यह जोड़ सरकार बना सकता है। इसमें नेपाली कांग्रेस के 64 और मधेशी दल (जसपा) के 36 सांसद शामिल हैं। 

नेपाली कांग्रेस के सहमंत्री प्रकाश शरण महत का कहना है कि वे एमाले के माधव नेपाल गुट के 28 सांसदो से भी संपर्क साध रहे हैं।

दूसरी ओर ओली सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व पीएम प्रचंड भी इस दौड़ में शामिल हैं। उनके गुट के 49 सांसद हैं। ओली समर्थक 28 और जसपा के 36 सांसदों के साथ यह गुट भी सरकार बनाने की फिराक में है। काठमांडू में मंगलवार को दिनभर चले रस्साकसी में यह देखा गया कि नेपाली कांग्रेस हो कम्युनिस्ट धड़ा,दोनों ही मधेशी दलों के सांसदो को अपनी ओर खींचने की जोड़ तोड़ में लगे रहे। 

यहां खास बात यह है कि चीन की कोशिश है कि ओली गए,कोई बात नहीं, अब प्रचंड या माधव नेपाल ही प्रधानमंत्री बनें।यानी वह कम्युनिस्ट सरकार के लिए लाबींग में जुट गया,जबकि नेपाली कांग्रेस कम्युनिस्ट सरकार को रोकने के लिए मधेशी सांसदो को एक जुट करने में जुटा है।

(लेखक नेपाल मामलों के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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