नेपाल; कृष्णनगर के बाजार में पसरा सन्नाटा,व्यापारियों को सता रही है भविष्य की चिंता

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इससे पहले यह आशंका सही साबित हो,और एक चहलपहल वाले बाजार का अस्तित्व खत्म हो जाये ,और यह बाजार भी कोयलावासा में बदल जाये,जिम्मेदार लोगों को ठोस पहल करना चाहिए। यदि सचमुच इस बाजार का अस्तित्व मिट गया तो आने वाले समय मे लोग यह शेर गुनगुनाने को मजबूर होंगे——-“इस दस्त में एक शहर था वो क्या हुआ आवारगी”!

राहुल मोदनवाल

कृष्णनगर,17 मार्च।इण्डो नेपाल पोस्ट

भारतीय सीमा से सटा कस्बा कृष्णनगर कभी अपनी चहल पहल व बाजार में रौंनक के लिए जाना जाता था।एक दौर ऐसा भी था जब लोग  इसे “मिनी दुबई”के नाम से भी जानते थे।अब हालात बदल गए हैं,बाजार में सन्नाटा पसरा है,दुकानदारों के समक्ष रोज़ी रोटी का संकट हर रोज़ गहरा होता जा रहा है।स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिंता सता रही है।


कृष्णनगर यूपी के सिद्धार्थनगर ज़िले के बढ़नी सीमा से लगा हुआ ,यह नेपाली बाजार भारतीय सीमा से सबसे ज़्यादा नज़दीक है।लॉक डाउन के समय बॉर्डर बन्द होने से इस बाजार की कमर टूट गयी थी।बॉर्डर खुलने के बाद भी अभी निजी भारतीय नम्बरों के वाहनों और सभी मार्गों से सामान्य आवाजाही सुनिश्चित न होने से बाजार की हालत बहुत खस्ता हो गयी है।व्यापारियों का कहना है कि गोंडा और गोरखपुर के बीच पैसेंजर ट्रेन न चलने से भी यहां के व्यापार पर असर पड़ रहा है।


    क्या छोटा और क्या बड़ा सभी व्यापारी रोजगार न चलने से परेशान हैं।कुछ तो ऐसे भी दुकानदार हैं जिनकी कभी कभी बोहनी भी नही होती है।स्थानीय निवासी जीएल शर्मा    कहते हैं कि बाजार की हालत बद से बदतर होती जा रही है।पहले लॉक डाउन और अब बॉर्डर से निजी भारतीय नम्बरों की गाड़ियों व पैसेंजर ट्रेन न चलने से व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।जिससे व्यापारी परेशान हैं।


आपको याद दिला दें,पड़ोसी ज़िला बलरामपुर के तुल्सीपुर से लगा एक कस्बा कोयलाबासा है जो नेपाल में स्थित है।प्रकृतिक रूप से सुंदर वह कस्बा कभी बड़ा व्यापारिक केंद्र हुआ करता था।लोग दूर दूर से जाकर वहां बस्ते थे और व्यापार करते थे ।लेकिन कई वर्षों पूर्व कोयलवासा व्यापारिक रूप से टूट गया ।अब उसकी चर्चा उसके गौरवशाली व्यापारिक अतीत के रूप में होती है।कृष्णनगर के फिलवक्त के हालात को देखकर कुछ लोगों को  इस बाजार के भी कोयलावासा बनने की आशंका सता रही है इससे पहले यह आशंका सही साबित हो,और एक चहलपहल वाले बाजार का अस्तित्व खत्म हो जाये ,और यह बाजार भी कोयलावासा में बदल जाये,जिम्मेदार लोगों को ठोस पहल करना चाहिए। यदि सचमुच इस बाजार का अस्तित्व मिट गया तो आने वाले समय मे लोग यह शेर गुनगुनाने को मजबूर होंगे——-“इस दस्त में एक शहर था वो क्या हुआ आवारगी”!

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