नेपाल:सुप्रीम कोर्ट ने किया संसद को फिर बहाल,देउवा को प्रधानमंत्री बनाने का आदेश

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ज्ञात हो कि राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 22मई को संसद के निचले सदन को पांच माह में दूसरी बार भंग कर दिया था।

सग़ीर ए खाकसार


काठमाण्डू 12 जुलाई।इण्डो नेपाल पोस्ट


सोमवार को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के संसद को भंग किये जाने के फैसले के ख़िलाफ़ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए संसद को पुनर्बहाल करने के साथ साथ मंगलवार की शाम 5 बजे तक नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का नेपाल के विपक्षी दलों ने स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है।नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउवा ने अपनी आरंभिक प्रतिक्रिया में कहा कि कोर्ट के इस फैसले ने “लोकतंत्र की रक्षा “की है।देउवा ने कहा कि इस फैसले से न्यायालय के स्वन्त्रता की पुष्टि हुई है।अब पांच दल मिलकर नई सरकार बनाएंगे ।


पूर्व प्रधानमंत्री व जनता समाजवादी पार्टी संघीय परिषद के अध्यक्ष डॉ बाबु राम भट्टराई ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले ने ओली के असंवैधानिक व प्रतिगमनकारी कदम पर ब्रेक लगा दिया है।पूर्व प्रधानमंत्री व नेकपा माओवादी केंद्र के अध्यक्ष पुष्प कमल दाहाल ने कहा कि कोर्ट का फैसला नेपाली जनता के हित में है।यह एक ऐतिहासिक फैसला है।इतिहास में इस फैसले को सम्मान पूर्वक देखा जाएगा।नेकपा एमाले के वरिष्ठ नेता माधव नेपाल ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय ने संविधान की रक्षा की है।संसद को दूसरी बार न्यायालय ने बहाल करके सकारात्मक संदेश दिया है।नेपाल ने कहा कि देश मे राजनैतिक स्थिरता कायम करने में इस फैसले की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
नेकपा एमाले संसदीय दल के उपनेता सुवास नेमवांग ने संसद के पुनर्बहाली के फैसले से असहमति जताते हुए इसे स्वीकार्य करने की बात की है।उन्होंने कहा कि नेकपा एमाले संविधान व लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखती है।हमें न्यायलय का फैसला स्वीकार्य है।

ज्ञात हो कि राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 22मई को संसद के निचले सदन को पांच माह में दूसरी बार भंग कर दिया था।यही नहीं 12 व 19 नवम्बर को मध्यवधि चुनाव की घोषणा भी कर दी थी।संसद के पुनर्बहाली की मांग को लेकर करीब 30 याचिकाएं दाखिल की गई थीं ।275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत हारने के बाद ओली अभी अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी याचिका दाखिल की गई थी जिसमें नेका अध्यक्ष शेर बहादुर देउवा को 149 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था।

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