……….जहाँ सोने की है चिड़िया, वही भारत हमारा है।

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जुग्गी राम राही

जहाँ सोने की है चिड़िया, वही भारत हमारा है।
जहाँ देवी है हर बिटिया, वही भारत हमारा है।
जहाँ सोने की……

कहीं सुबहा निराली है, कहीं की शाम मन मोहक।
कहीं राधा दिवानी है, कहीं मीरा का मन मोहन।
जहाँ चंदन सी है मटिया, वही भारत हमारा है
जहाँ सोने की….

यहीं होली दिवाली है, यहीं है ईद बैसाखी।
यहीं पर लाज राखी की, हुमायूँ ने ही है राखी।
जहाँ पावन बहे नदियाँ, वही भारत हमारा है
जहाँ सोने की….

लचकती डालियाँ कहती, लहकते खेत हैं कहते।
महकती क्यारियाँ कहती, मचलते मोर हैं कहते।
जहाँ माथे सजे बिंदिया, वही भारत हमारा है।
जहाँ सोने की….

(जुग्गी राम राही, शिक्षक एवं नेशनल एनाउंसर, बढ़नी, सिद्धार्थनगर)

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