मौलाना अबुल कलाम आजाद का सपना था सबको शिक्षा व सस्ती शिक्षा

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फरीद आरज़ू की रिपोर्ट ,इण्डो नेपाल पोस्ट के लिए

11 नवम्बर को मौलाना अबुल कलाम आजाद की यौमे पैदाइश का दिन था।इस मौके पर विभिन्न संस्थाओं ने मौलाना आज़ाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप मे मनाया।जंगे ए आज़ादी के बाद सत्तासीन हुए रहनुमाओं ने देश को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं बनायीं और उनका क्रियान्वयन किया।वो देश के बारे में सोंचते थे व्यक्तिगत लाभ की भावना से परे थे।इतिहास में ऐसी कई मिसाले दर्ज है जो उनकी ईमानदारी की गवाही देते हैं।


इतिहास गवाह है कि लौह पुरूष सरदार पटेल के निधन के बाद उनके पास से कुल 260 रूपया निकले।डा०राजेन्द्र प्रसाद की मृत्यु के बाद उनके पास से करीब 3000 रूपये निकले।मौलाना अबुल कलाम आजाद के इंतकाल के बाद उनके पास एक फूटी कौडी भी नही निकली।ये चंद ऐसे नाम है जिनका मुकाम जंगे आजादी मे आला था।आजादी के बाद पहली सरकार मे अहम ओहदो पर फाएज रहे।लेकिन किसी के पास इतनी दौलत नही निकली कि उस दौलत पर उनके वारिसान ऐश कर सके।

मौलाना आज़ाद ने शिक्षा व संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, साहित्य नाट्य एकेडमी, ललित कला एकेडमी आदि की स्थापना की था।मौलाना का सपना था कि सबको शिक्षा व सस्ती शिक्षा मिले।मौलाना शिक्षा के ज़रिए समाज मे व्यापक बदलाव के हिमायती थे।

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